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संस्कार भारती, गोरक्षप्रांत एवं युवा चेतना समिति के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित
Place
दिग्विजय नाथ पीजी कॉलेज के सभागार
Time
अपराह्न 2:00 बजे


Description

चारुशीला सिंह की कविताओं में जीवन अपनी पूरी विविधता के साथ गुलजार हुआ है : प्रो. के.सी. लाल

दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोरखपुर के सभागार में आज ऐसा लगा जैसे शहर की साहित्यिक चेतना अपने को पुनःश्च  स्थापित करने के लिए लालायित हो उठी हो। शहर की ताजादमी के रूप में पूरे देश में अपनी बेमिसाल रागात्मक शैली के साथ अपनी विविध कविताओं के जरिए पहचान बना चुकी अयोध्या दास माध्यमिक कन्या विद्यालय में प्राध्यापिका के रूप में कार्यरत डा. चारुशीला सिंह के प्रथम काव्य कृति का लोकार्पण बहुत ही दक्ष, अनुभवी एवं सिद्ध काव्य मनीषियों के द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में पद्मश्री प्रो. विश्वनाथ तिवारी, गजलकार प्रो. कृष्ण चंद्र लाल, प्रो. रामदेव शुक्ल, प्रो. राम दरस राय, प्रो. चितरंजन मिश्र एवं डा. वेद प्रकाश पांडेय जी के साथ ही सभागार में शहर के चिर परिचित सुविज्ञ हस्तियां उपस्थित रहीं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात स्थानीय साहित्यकार प्रो. रामदेव शुक्ल जी ने किया । मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. विश्वनाथ तिवारी जी एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. रामदरश राय, प्रो. कृष्ण चंद्र लाल एवं डा. वेद प्रकाश पांडेय जी उपस्थित थे। इस कार्यक्रम को युवा चेतना समिति एवं संस्कार भारती के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया था। पुस्तक से कुछ कविताओं के पाठ के क्रम में चारु से कुछ चुनिंदा कविताओं का पाठ किया जिसमें स्त्री के बहुरंग, नई पीढ़ी, प्रेम के गीत आदि प्रमुख थी। पुस्तक के विमोचन के पश्चात पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए डा वेद प्रकाश पांडेय जी ने अपने संबोधन में कहा कि उनकी काव्य प्रतिभा बहुमुखी है। समाज  और साहित्य के अंतर्संबंध को वे भली भांति पहचानती हैं। उनको ढेरों शुभकामनाएं और वे अपने इस काव्य सफर को निरंतर आगे बढ़ती रहें। प्रो राम दरस राय जी ने अपने संबोधन में कहा अर्थ गौरव, पद लालित्य और सुंदर गेयता चारु को एक समृद्ध कवियत्री बनाती हैं। कविता में सहजता बहुत बड़ा गुण हैं और यह गुण चारु की कविता में कूट कूट कर भरी है। हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो के सी लाल जी ने बड़े विस्तार से पुस्तक पर अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा की उनकी कविताओं ने चारुता का दर्शन प्रतिपादित किया है इस पुस्तक में। उनकी कविता का सौंदर्य बहुत विशेष है। आचार्य विश्वनाथ जी की कविता को उद्धृत करते हैं

जो लिखते हैं कविताएं 
और जो प्यार करते है
वो धरती को करते हैं 
थोड़ा चौड़ा, थोड़ा गहरा
और थोड़ा नम ।

और कहते हैं कि यही साहित्यकार का प्रमुख काम है। चारु की कविताओं ने जीवन के विभिन्न रूपों को ठीक से पहचाना है उनको शबदरूप दिया है। उनकी सत्तर कविताओं में कहीं दुहराव नहीं है। जिंदगी के संघर्षों से गुजरते हुए उन्होंने अपने शब्दो को लड़ियों में पिरोया है। उन्होंने उनकी मां शीर्षक वाली कविता का पाठ भी किया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पद्मश्री आचार्य विश्वनाथ प्रसाद तिवारी जी ने अपने संबोधन में कहा की जो लोग कहने या अभिव्यक्त करने की समस्या को सुलझा लेते हैं वह कवि होते हैं।  जैसे एक नर्तक अपने मंच पर सीमित स्थान में घूम कर ही बड़ी कथाओं को व्यक्त कर लेता है वैसे ही कवि सीमित शब्दों में अपनी भावना को अभिव्यक्त करता है। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रख्यात कथाकार प्रो रामदेव शुक्ल जी ने पुस्तक में प्रकाशित एक कविता के काले एवं गुलाबी रंग के मिलन पर कबीर जैसे प्रेमाभिव्यक्ति का निदर्शन होता है। कवयित्री ने पुस्तक में बड़े सार्थक प्रेम को अभिव्यक्त किया है जिसमें पाने का नहीं देने का परिपक्व भाव निहित है।

कार्यक्रम का सफल संचालन विश्विद्यालय के हिंदी विभाग के प्रो विमलेश मिश्र जी ने किया ।

कार्यकम विवरण:

डॉ० चारुशीला सिंह काव्य मंच के माध्यम से अपनी कविताओं और ग़ज़लों द्वारा आप सभी को नव चेतना और प्रसन्नता का बोध कराती रही हैं। उनकी कविताएं कागज का आधार पाकर संग्रह के रूप में "आखिर क्यों" नाम से प्रकाशित हुई हैं। "आखिर क्यों" का लोकार्पण समारोह 24 नवंबर 2023, दिन शुक्रवार को दिग्विजय नाथ पीजी कॉलेज के सभागार में अपराह्न 2:00 बजे आयोजित है।

कार्यक्रम अध्यक्ष - प्रो० रामदेव शुक्ल, प्रख्यात कथाकार

मुख्य अतिथि - पद्मश्री आचार्य विश्वनाथ प्रसाद तिवारी पूर्व अध्यक्ष साहित्य अकादमी

मुख्य वक्ता - प्रो० कृष्ण चंद लाल

विशिष्ट अतिथि - डॉ० वेद प्रकाश पाण्डेय, प्रो० राम दरश राय, प्रो० चित्तरंजन मिश्र




Aayojak

प्रेम पराया, महामंत्री संस्कार भारती, गोरक्ष प्रांत

मांधाता सिंह, अध्यक्ष, युवा चेतना समिति