साहित्य जगत में काव्य विधा के प्रचार प्रसार और लोक साहित्य के रस रंजन को समर्पित कविता की सुरमयी शाम का आयोजन स्थानीय सरस्वती विद्या मंदिर महिला पीजी कॉलेज, आर्यनगर के सभागार में किया गया। सामाजिक सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाने वाली संस्था युवा चेतना समिति के द्वारा आयोजित इस कवि सम्मेलन में देश के नामचीन कवि अपनी रचनाओं का पाठ कर दर्शकों और श्रोताओं को काव्य रस में सराबोर कर दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नगर महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव उपस्थित रहे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि काव्य की विधा मानव के साहित्यिक इतिहास की आदिम विधा है और कम शब्दों में अधिक गहरे अर्थ और विस्तार वाली बातें कहने का सामर्थ्य केवल कवि में ही होता है। कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. वेद प्रकाश पांडेय व सामाजिक कार्यकर्ता व शिक्षाविद शिवजी सिंह रहे।  


कवि सम्मेलन का उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन व पुष्पार्चन के साथ माँ सरस्वती के पूजन अर्चन से हुआ।

इसके बाद कवि सम्मेलन की शुरुआत हुई। 

कानपुर से प्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ. सुरेश अवस्थी ने अपनी रचनाएं पढ़ते हुए सुनाया बाहर बहुत धुँआ है खिड़की न खोलिए, दीवारें सुन रही हैं आहिस्ता बोलिए ..और 



उन्होंने श्रोताओं की महफ़िल लूट ली और खूब वाहवाही बटोरी

मुम्बई से प्रसिद्ध हास्य कवि दिनेश बांवरा ने अपने चुटीले अंदाज में व्यंग्य बाणों की बरसात कर दी और श्रोता हंस हंस कर लोटपोट गए। उन्होंने अपनी रचना पढ़ते हुए कहा इस दुनिया को सबसे ज्यादा खतरा मोबाइल से है न चीन से है न इजराइल से है ।



इटावा से कवि व गीतकार डॉ. राजीव राज ने अपनी रचना सिर्फ़ इक फूल के मानिन्द ज़िदगानी है ,चार छ: रोज़ से ज्यादा नहीं कहानी है   सुनाई और दर्शकों की खूब दाद लूटी।



प्रयागराज से गीतकार डॉ. विनम्र सेन सिंह ने अपनी रचनाएं पढ़ते हुए सुनाया आदमी लाख सम्हालो फिसल ही जाता है, पहाड़ों से भी तो रस्ता निकल ही जाता है ।



कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. चारुशीला सिंह ने अपनी रचना जगत और जीवन की ये जूझ न लूटे ये चाहे मन ,भले अनबन हो फिर भी साथ न छूटे ये चाहे मन । पढा उन्होंने कार्यक्रम का संयोजन करते हुए आगन्तुक कवियों एवं दर्शकों के प्रति आभार व्यक्त किया।



मंच संचालन मृत्युंजय नवल जी ने किया ।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में काव्यप्रेमी गणमान्यजन उपस्थित रहे।